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Saturday 30 October 2021

पबजी जैसे सैकड़ों एप्प का बंद होना देशहित में, युवाओं ने साझा किए विचार

पबजी जैसे सैकड़ों एप्प का बंद होना देशहित में, युवाओं ने साझा किए विचार
पबजी जैसे सैकड़ों एप्प का बंद होना देशहित में, युवाओं ने साझा किए विचार

केन्द्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पबजी सहित 188 एप्प को बंद करने का निर्णय लिया है,इस निर्णय पर युवाओं ने भारत सरकार का सराहनीय निर्णय बताते हुए स्वागत-योग्य कदम बताया।
इस निर्णय पर रिसर्च स्कॉलर एवं मप्र हिंदी साहित्य भारती के संयुक्त महामंत्री शुभम चौहान ने कहा कि पबजी जैसे सैकड़ों एप्प को बंद करना करोड़ों युवाओं के हित में है।

गांव के गांव बर्बाद हो रहे थे जिन्हें न कोई काम से मतलब था न देश से, उन्हें बस सुबह- शाम चौराहों पर बैठकर दिन रात मोबाइल की चमचमाती स्क्रीन पर उंगलियां रगड़ने से मतलब था। यह एक ऐसा नशा था जो नये तरह का था जिससे एक पूरी की पूरी पीढ़ी ग्रसित थी जिन्हें समझ नहीं थी उनके यह खेल नहीं था बल्कि एक नशा था।

खेल हमें अवसाद से बाहर निकालते है, शारीरिक क्षमता को बढ़ाता देते है, ऐसे एप्प खेल नहीं हो सकते जो अवसाद की जड़ हो,समय की बर्बादी करे।यह एक तरह का चरस था,जिसका आज अंतिम संस्कार हुआ है, परंतु ऐसे दैत्य रुपी एप्प फिर नये रुप में अवतरित होंगे।

समाजिक कार्यकर्ता शिवम मिश्रा ने कहा कि अब युवाओं की भागीदारी शैक्षिक गतिविधियों में बढ़ सकेगी। पब्जी गेम पर प्रतिबंध से देश के युवाओं का ध्यान शैक्षणिक गतिविधियों में और बेहतर रूप से केंद्रित हो सकेगा साथ ही स्वदेश में निर्मित एप्स को अधिक बल मिल सकेगा।

इंजीनियरिंग के छात्र प्रतीक राजावत ने कहा कि पबजी जैसे खेल युवाओं की दूरदर्शिता और मनोवैज्ञानिक क्षमताओं को बुरी तरह प्रभावित कर रहे थे, हमें यह समझना चाहिए कि वास्तविक जीवन में इस तरह के खेल हमारे व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव डालते हैं। सरकार ने इस तरह के एप्प बंद करके युवाओं के हित में फैसला लिया है। जो उम्र मैदानों में खेलने की थी, शारीरिक विकास को विकसित करने की थी उस उम्र में करोड़ों युवा चार- दीवारों के बीच मानसिक रूप से पंगु बन रहे थे।

अब समय है युवाओं को राष्ट्रहित में निस्वार्थ भाव से स्वयं का व्यक्तित्व विकास करते हुए योगदान देने का। हमें यह सोचना चाहिए कि जितना समय इस तरह का तथाकथित एप्प पर दे रहे थे अगर उतना समय हम साहित्य पढ़ने में दे तो, सम्पूर्ण भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा। पहले टिक-टॉक पर युवा बिना मेहनत के प्रसिद्ध होने के लिये तरह- तरह के प्रयास करते थे वैसे ही पबजी जैसे खेल खेलने से बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो रहे थे और हिंसात्मक प्रवृत्ति की ओर बढ़ रहे थे।

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