
मध्यप्रदेश विधानसभा के 27 उपचुनावों में असली लड़ाई धारणा (परसेप्शन) पर आधारित होगी और भाजपा व कांग्रेस में से जो भी अपने पक्ष में प्रबल धारणा मतदाताओं के मानस में अंकित कर देगा उसकी जीत की राह आसान हो जाएगी। उपचुनावों में मुख्य मुद्दा सरकार बचाने तथा सरकार बनाने को लेकर होगा और जो भी इस लड़ाई में आगे निकल जाएगा वह बाजी मार लेगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के बीच यह उपचुनाव प्रतिष्ठा के हो गए हैं तथा कम से कम कांग्रेस इन्हें करो या मरो के आधार पर लड़ेगी, क्योंकि वह यह जानती है कि यदि इसमें उसकी परफार्मेंन्स अच्छी नहीं रही तो फिर उसके राजनीतिक भविष्य के सामने एक बड़ा सवालिया निशान लग जाएगा। वहीं शिवराज को हर हाल में उतनी सीटें जीतना होंगी जिससे कि वह कांग्रेस से आगे रहे तथा उनकी सरकार बची रहे। किसान, उसके मुद्दे और बिजली के बढ़े हुए बिल एक बड़ी समस्या के रुप में सरकार के सामने उभर कर आये हैं।
शिवराज और कमलनाथ दोनों की ही कोशिश है कि इन मुद्दों पर वे अधिक संवेदनशील और हितचिंतक बनकर उभरें। बढ़चढ़ कर किए जा रहे दावे और प्रतिदावे इसलिए हो रहे हैं क्योंकि उपचुनाव के नतीजे उस धारणा पर ही निर्भर करेंगे जो मतदाताओं के बीच इनको लेकर बनेगी।
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने आठ उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है और उनका प्रयास भले ही खेल न पायें लेकिन खेल बिगाड़ने की है। वे किसका खेल बिगाड़ेंगी या किसका खेल बनायेंगी यह नतीजों से ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल उनकी कोशिश सरकार की चाबी अपनी मुट्ठी में बंद करने की है और हमेशा इसी मंशा से वे चुनाव मैदान में उम्मीदवार उतारती है, लेकिन मध्यप्रदेश में उनकी हसरत अभी तक पूरी नहीं हुई है, आगे क्या होगा यह मतदाताओं पर ही निर्भर करेगा।
बिजली के बढ़े हुए बिलों का करंट उपचुनावों में भाजपा उम्मीदवारों को ना लगे इस दृष्टि से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक किलोवॉट कनेक्शन वाले एक करोड़ आठ लाख घरेलू उपभोक्ताओं को 31 अगस्त तक के बिजली बिलों में राहत प्रदान कर दी है। शिवराज के द्वारा इंदौर में घोषणा करते ही ऊर्जा विभाग के सचिव आकाश त्रिपाठी ने तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को निर्देशित किया कि एक किलोवॉट तक के संयोजित भार वाले घरेलू उपभोक्ताओं को सितम्बर एवं अक्टूबर माह में मात्र उनकी वर्तमान मासिक खपत के आधार पर बिजली बिल जारी करें और इसमें पूर्व बकाया एवं सरचार्ज की राशि को शामिल नहीं करें।
अक्टूबर 2020 के बिजली बिल मासिक खपत के साथ यदि किसी उपभोक्ता ने सितम्बर का बिजली बिल नहीं भरा है तो उसकी बकाया राशि में सरचार्ज भी शामिल होगा। स्थगित बकाया राशि (31 अगस्त की स्थिति में) को लेकर अलग से निर्देश जारी किए जायेंगे। उन्होंने इन निर्देशों का कड़ाई से पालन कराने को कहा है। बिलिंग साफ्टवेयर में 31 अगस्त तक अनिवार्यत: जरुरी परिवर्तन करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
शिवराज ने देवास में बारिश से प्रभावित फसलों को देखने के बाद कहा कि 6 सितम्बर तक प्रदेश के 19 लाख किसानों के खातों में 4500 करोड़ रुपये जमा कराये जायेंगे। उन्होंने कहा कि फसल बीमा और राहत राशि मिलाकर किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। फसल बीमा योजना में पंजीयन कराने की अंतिम तिथि 31 अगस्त तक बढ़ा दी गयी है। यह घोषणा उन्होंने खातेगांव कृषि उपज मंडी के कार्यक्रम में ग्रामीणजनों को सम्बोधित करते हुए की।
जहां शिवराज किसानों का दिल जीतने की पूरी-पूरी कोशिश कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने किसानों की ॠणमुक्ति तथा यूरिया की कालाबाजारी और किल्लत को एक बड़ा मुद्दा बनाते हुए शेष किसानों की कर्जमाफी करने की सरकार से मांग की है।
कमलनाथ ने मीडिया से चर्चा करते हुए एक पेनड्राइव भी दिखाई जिसमें किसानों की कर्जमाफी का पूरा ब्यौरा उनके मोबाइल नम्बरों सहित दिया गया है। उपचुनाव वाले क्षेत्रों के सभी प्रभारियों को यह पेनड्राइव दी गयी है और कांग्रेस इसको एक बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है। पूर्व जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि कमलनाथ सरकार में 26 लाख किसानों की कर्जमाफी हुई थी और जो भी व्यक्ति इसको देखना चाहता है वह पेनड्राइव ले जाकर देख सकता है तथा कर्जमाफ किसानों से उसका सत्यापन कर सकता है।
जहां शिवराज अपनी छवि किसानों के सबसे बड़े हितचिंतक के रुप में धीरे-धीरे गढ़ रहे हैं तो वहीं कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा है कि मुख्यमंत्री चौहान किसानों के नाम पर ग्लीसरीनी आंसू ना बहायें। कांग्रेस ने अपनी सरकार में किसानों की कर्जमाफी का ब्यौरा पेनड्राइव में पेश किया तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने व्यंग्य किया कि अपनी सरकार के 15 माह के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार का ब्यौरा भी कमलनाथ पेनड्राइव में पेश करें। उनका कहना था कि किसानों से बोले गए झूठ के कारण ही कमलनाथ सरकार गिरी और झूठों की यह मंडली अब फिर से झूठ फैलाने का काम कर रही है।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अब पूरी ताकत से उपचुनाव जीतने की मशक्कत कर रहे हैं। भाजपा ने अपनी पूरी मैदानी जमावट की कर ली है और अब वह मैदान मे नजर आ रही है। कमलनाथ उग्र तेवर अपनाते हुए आरोप लगा रहे हैं कि जब-जब प्रदेश में भाजपा सरकार आई है किसान परेशान हुआ है और भ्रष्टाचारियों, घोटालेबाजों, मिलावटखोरों तथा कालाबाजारी करने वालों के हौंसले बलुन्द हुए हैं।
उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि यूरिया की कालाबाजारी तत्काल बंद नहीं हुई और किसानों को अच्छी गुणवत्ता का यूरिया उपलब्ध नहीं किया गया तो फिर कांग्रेस उनके समर्थन में मैदान में उतरेगी। ग्वालियर- चम्बल संभाग में उपचुनाव के लिए प्रमुख प्रवक्ता के.के. मिश्रा की अचानक सुरक्षा राज्य सरकार ने वापस ले ली है और अब कांग्रेस इसे एक बड़ा मुद्दा बना रही है। मिश्रा जबसे ग्वालियर पहुंचे हैं लगातार आरोपों की धुआंधार बल्लेबाजी कर रहे हैं और उनके निशाने पर शिवराज के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया भी रहते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा है कि के.के. मिश्रा की सुरक्षा जब वे होने वाले उपचुनावों में कांग्रेस के प्रभारी के रुप में जिम्मेदारी निभा रहे हैं, हटाना बेहद आपत्तिजनक है, तत्काल सरकार उनकी सुरक्षा की व्यवस्था करे, अन्यथा कोई अप्रिय घटना यदि होती हैं तो उसकी जवाबदारी राज्य सरकार की होगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्वीट किया कि के.के. भाई की सुरक्षा हटाकर सरकार ने ठीक नहीं किया है। भाजपा वालों को लगता है कि वे ऐसा कृत्य कर कांग्रेस नेताओं पर दबाव डाल लेंगे तो वे गलतफहमी में हैं। भाजपा के इन कामों से कोई कांग्रेस वाला पीछे हटने या कमजोर पड़ने वाला नहीं है।
और यह भी:-
भाजपा के 22, 23 और 24 अगस्त को ग्वालियर-चम्बल संभाग में हुए सदस्यता अभियान के मेगा-शो और कांग्रेस के द्वारा 22 अगस्त को ही ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोध में एक बड़ा प्रदर्शन किया गया जिसमें खुलकर सिंधिया विरोधी नारे लगे। 25 अगस्त को ग्वालियर में ही कांग्रेस ने सदस्यता अभियान एवं कार्यकर्ता सम्मेलन भी आयोजित।
इसमें भाग लेकर लौटने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पर आयोजित बैठक में फीडबैक के दौरान पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि हमारा 90 हजार लोगों ने ग्वालियर में स्वागत किया। यह सुनकर चौंकने की बारी कमलनाथ की थी, उन्होंने कहा कि 90 हजार कैसे, इस पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने कहा कि वैसे ही जैसे भाजपा ने 76 हजार से अधिक लोगोंं को पार्टी की सदस्यता दिलाई।
76 हजार कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सिंधिया के साथ भाजपा की सदस्यता लेने पर शिवराज ने कहा था कि अब यह अंचल पूरी तरह कांग्रेसमुक्त हो गया है। चूंकि उपचुनाव धारणा (परसेप्शन) पर लड़े जा रहे हैं इसलिए कोई भी मनोवैज्ञानिक ढंग से मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए दावा करते समय किसी से पीछे नहीं रहना चाहता।
News Source :- अरुण पटेल (लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक)
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